Monday 3 February 2014

                                      तो पेशावर से मिली थी शाहरुख को इस्लाम की शिक्षा

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। शाहरुख खान के जिस लेख का हवाला देकर पहले पाकिस्तान के आतंकी सरगना हाफिज सईद और फिर वहां के बड़बोले गृहमंत्री रहमान मलिक ने भारत पर तंज कसे। इसमें ऐसा कुछ नहीं है कि यह बॅालीवुड स्टार अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है, लेकिन इस लेख में उन्होंने अपनी कुछ परेशानियों का जिक्र अवश्य किया है। उन्होंने एक पत्रिका में भारत में मुस्लिम होने के नाते अपने अनुभव कुछ इस तरह लिखे हैं।
जब भी इस्लाम के नाम पर कोई घटना होती है, मुझे उस पर अपने विचार देने के लिए पकड़ लिया जाता है। जब कभी भारत में नेताओं को मुस्लिम समुदाय का कोई काम गलत या राष्ट्र के खिलाफ लगता है, मैं बेवजह उनका निशाना बन जाता हूं। वे मुझे उस सब का प्रतीक बना लेते हैं। कई बार मुझ पर अपने देश से ज्यादा पड़ोसी मुल्क के प्रति लगाव रखने का आरोप लगता है। वह भी तब जब मेरे पिता ने देश को गुलामी से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था।
कई बार मेरे खिलाफ प्रदर्शन किए गए, जिसमें शामिल नेताओं ने मुझे अपना घर छोड़कर वहां लौट जाने को कहा, जिसे वे मेरा वास्तविक देश बताते हैं। हर बार मैं पूरी शालीनता के साथ उनकी बातों को खारिज कर देता हूं। किंग खान ने यह भी लिखा है, मैंने अपने बच्चों के नाम आर्यन और सुहाना रखे हैं। खान उन्हें विरासत में मिला है। जब मुस्लिम उनसे उनके बच्चों के नाम पूछते हैं तो वह बड़ी कठिनाई से बता पाते हैं कि उनके नाम आर्यन खान और सुहाना खान हैं। नाम के आगे कोई सरनेम जुड़ा होने से मेरे बच्चे पूरी तरह चक्कर में पड़ जाते हैं। कई बार वे मुझसे अपने धर्म के बारे में पूछते हैं। तब मैं एक अच्छे फिल्मी हीरो की तरह उन्हें बताता हूं कि तुम पहले भारतीय हो और उसके बाद तुम्हारा धर्म मानवता है। या फिर एक हिंदी गीत गा देता हूं कि तू हिंदू बनेगा मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा। शाहरुख के अनुसार, इत्तिफाक से कई आतंकियों के नाम के आगे वही खान जुड़ा है, जो मेरे नाम के साथ है। मैं इस वजह से कई बार परेशान हो चुका हूं। मैंने अपनी बात रखने के लिए माई नेम इज खान फिल्म बनाई। मेरे नाम के साथ खान जुड़ा होने के कारण ही अमेरिका के एक हवाई अड्डे पर हिरासत में लेकर घंटों पूछताछ की गई।
मुझे आश्चर्य हुआ जब मैं दूसरी बार अमेरिका गया तो मेरे साथ फिर वैसा ही व्यवहार किया गया। शाहरुख ने लिखा है, वह किसी की संवेदनाओं को चोट नहीं पहुंचाना चाहते, बल्कि सच्चाई बताना चाहते हैं कि उग्रपंथी या लोगों की हत्या करने वाले सिर्फ अपने दिमाग से चलते हैं। उनका उनके नाम, स्थान या धर्म से कोई लेना-देना नहीं होता। उनका मस्जिद या गिरजाघर में सदियों से बताए जा रहे धर्म से भी कोई वास्ता नहीं होता। उनकी आत्मा पर अजान या पोप के शब्दों का भी कोई असर नहीं होता। उनकी आत्मा पर शैतान का कब्जा होता है। मैं इन जैसे लोगों की बातों से वास्ता नहीं रखता। बकौल शाहरुख, मैं तो छह फिट लंबा हूं, बहुत सुंदर और ही मैं उन मुसलमानों में हूं जो दूसरे धर्मों को नीचा मानते हैं। मुझे मेरे धर्म के बारे में पेशावर में रहने वाले मेरे छह फुट लंबे और बेहद सुंदर पठान पापा ने शिक्षा दी थी। उनका परिवार आज भी वहीं रहता है। वह खुदाई खिदमतगार आंदोलन के सदस्य थे और गांधीजी खान अब्दुल गफ्फार खान के अनुयायी थे। इस्लाम के बारे में मुझे सबसे पहली बात बताई गई कि महिलाओं बच्चों की इज्जत करना और हर मानव के सम्मान को सबसे ऊपर रखना। मैंने सीखा कि किसी की संपत्ति, विचार, भावनाएं, सिद्धांत और धर्म का उतना ही सम्मान करो, जितना आप अपना करते हो। इसलिए मैं खान हूं। मैं एक सामान्य व्यक्ति हूं। मेरी इस्लामी विचारधारा मेरी हिंदू पत्‍‌नी से कभी नहीं टकराती।

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